सीता माता की जन्म भूमि, सीतामढ़ी ,बिहार

                                              जनक जननी माता   सीता


sita ji in ashok batika
sita ji in ashok batika
       सीतामढ़ी सीता का जन्मस्थान है, महाकाव्य रामायण का मुख्य किरदार सीता को समर्पित एक मंदिर पनौरा धाम सीतामढ़ी में स्थित है। श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता, जिन्होंने अपने पत्नी धर्म को निभाने के लिए उनके साथ चौदह वर्ष का वनवास काटा। जिस दौरान उन्होंने अनेकों परेशानियों का सामना किया। जिस में सबसे बढ़ी कठिन परिस्थिति उनके लिए वो रही जब रावण उनका अपहरण कर उन्हें लंका ले गया।  
ram-sita-laxman
Ram-sita or laxman

    श्रीराम ने उन्हें रावण की कैद से आजाद तो करवाया, लेकिन माता सीता को अपने पवित्र होने का परमाण देने के लिए अग्नि परीक्षा देने पढ़ी। इस सबके बारे में तो बहुत से लोगों को पता ही होगा लेकिन सीता माता का जन्म किस स्थान पर हुआ उन्होंने किस जगह और क्यों उन्होंने समाधि ली थी, इसके बारें में बहुत कम लोग जानते होंगे।

सीतामढ़ी की भूमि में माता सीता ने जन्म लिया था और दूसरी भूमि में समा गई थी। जिस सीतामढ़ी में भगवती ने जन्म लिया, वह आज बिहार राज्य का जिला जो माता सीता के नाम से ही जाना जाता है। यहां के लोगों का मानना है कि माता सीता आज भी यहां निवास करती हैं और अपने भक्तों की समस्त परेशानियों को दूर करती हैं।

    माता सीता का जन्म 

sita janm bhumi
Sita janm bhumi

     रामायण के अनुसार, त्रेतायुग में एक बार मिथिला नगरी में भयानक अकाल पड़ा था। कई सालों तक बारिश न होने से परेशान राजा जनक ने पुराहितों की सलाह पर खुद ही हल चलाने का निर्णय लिया। जब राजा जनक हल चला रहे थे तब धरती से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में थीं। इस जगह पर माता सीता ने भूमि में से जन्म लिया था, इसलिए इस जगह का नाम सीतामढ़ी पड़ गया।


Sitamarhi sita janm bhumi
Sitamarhi-sita janm bhumi


   बिहार में सीतामढ़ी नाम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे से लगभग 2 कि.मी. की दूरी पर माता सीता का जानकी मंदिर है। मंदिर के पीछे जानकी कुंड के नाम से एक प्रसिद्ध सरोवर है। इस सरोवर को लेकर मान्यता है कि इसमें स्नान करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है।
   जानकी मंदिर से लगभग 5 किमी की दूरी पर माता सीता का जन्म स्थान है। इसी जगह पर पुनराओ मंदिर है। जहा पर  माता सीता भूमि से निकली  थी । सीता जन्म दिवस पर यहां बहुत भीड़ रहती है और भारी उत्सव मनाया जाता है।

बीरबल दास ने की मूर्ति स्थापना 

    मान्यता अनुसार सालों से इस जगह पर एक जंगल के अलावा कुछ और नहीं था। आज से लगभग 500 साल पहले अयोध्या में रहने वाले बीरबल दास नाम के एक भक्त को माता सीता ने अयोध्या आने की प्ररेणा दी। कुछ समय बाद बीरबल दास यहां आया और उसने इस जंगल को साफ करके यहां पर मंदिर का निर्माण किया और उसमें माता सीता की प्रतिमा की स्थापना की।

क्यों धरती में समा गई थी माता सीता 

sita mata love-kush
Sita mata with love-kush

    श्रीराम का उनकी प्रजा के बीच सम्मान बना सम्मान रहे इसके लिए उन्होंने अयोध्या का महल छोड़ दिया और वन में जाकर वाल्मिकी आश्राम में रहने लगीं। वे गर्भवती थीं और इसी अवस्था में उन्होंने अपना घर छोड़ा था। परंतु कुछ वर्षो बाद जब श्रीराम को पता चला कि वे लव-कुश उनके पुत्र हैं, तो वे उन्हें और सीता को लेकर महल वापस आ गए। श्रीराम अपनी पत्नी सीता को लाने को लेकर आश्वस्त नहीं थे, सीता को भी उनका अपने प्रति व्यवहार सही नहीं लगा। आहत होकर सीता ने भूमि देवी से प्रार्थना की कि वह उन्हें अपने भीतर समाहित कर लें। धरती मां ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर उन्हें अपने अंदर समा लिया। जिस स्थान पर सीता ने भूमि में प्रवेश किया था आज उस स्थान को सीता समाहित स्थल के नाम से जाना जाता है।




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Er. Jay Kumar Singh

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2 comments:

  1. सीतामढी जो कभी सीता मड़ई और सीता मई या मयी कहलाती थी। कहा जाता है की जगत जननी |
    nice

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Hello friend, if you have any doubt ,comment me .