सीता माता का पुन्य स्थल (सीतामढ़ी )
कहा जाता हैं कि सीतामढ़ी का संबंध पौराणिक काल से है।वास्तव में सीतामढ़ी 11 दिसम्बर 1972 मुजफ्फरपुर जिले से बना और यह तिरहुत प्रमंडल में है।यह इतिहास त्रेता युग में वापस चला जाता है जब ,सीतामढ़ी भारत के मिथिल का प्रमुख शहर था जो पौराणिक काल में माता सीता के जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है। यह बिहार के पर्यटक स्थलों में एक है। माता सीता के जन्म के कारण इस शहर का नाम पहले सीतामड़इ ,फिर सीतामरही और बाद में सीतामढ़ी पड़ा।
पहले यह शहर लछमणा नगर के नाम से विख्यात था जो अभी लखनदेई नदी के तट पर स्थित है। कहा जाता है की भगवान राम की शादी में जो बाराती लोग आए थे उनके लिए कुँआ और तालाब प् पानी कम पड़ गया था तब भगवान राम के छोटे भाई लछमण ने अपने बनो से इस नदी का निर्माण किया था ,इसलिए लछमण नदी होने के कारण इस नगर का नाम लछमण नगर पड़ गया।रामायण काल में यह मिथिला का महत्वपूर्ण अंग था।
सीता जी का जन्म कैसे हुआ :-
मिथिला, जहां के राजा जनक थे,त्रेतायुग में एक बार मिथिला नगरी में भयानक अकाल पड़ा था। 12 सालों तक बारिश न होने से परेशान राजा जनक ने पुराहितों की सलाह पर खुद ही हल चलाने का निर्णय लिया। जब राजा जनक हल चला रहे थे तब धरती से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें एक लड़की शिशु अवस्था में थीं। जब राजा जनक हल चला रहे थे तो हल के अग्र भाग से लग कर मिट्टी से बाहर निकली ,हल के अग्र भाग को सिर कहा जाता हैं इसलिए उस कन्या का नाम सीता रखा गया। इस जगह पर माता सीता ने भूमि में से जन्म लिया था, इसलिए इस जगह का नाम सीतामढ़ी पड़ गया। यह माता सीता का एक दार्शनिक स्थल है। जहां लोग धूमने के लिए आते हैं और माता के जन्म स्थान को देखते हैं।
मिथिला राज्य का उल्लेख रामायण में मिलता है। सीता मिथिला के राजा जनक की सबसे बड़ी बेटी थीं।इनके चार पुत्रियां थी जिस में सीता सबसे बड़ी बेटी थीं। जिनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र श्रीराम से हुआ था। राजा दशरथ के चार पुत्र थे ,जिस में राम सबसे बड़ा लड़का था।
हलेश्वर स्थान :-
शहर से सटे फतेहपुर गिरमिसानी में स्थित हलेश्वर नाथ महादेव बहुत ही दयालु है। बाबा पुरी यहां आने वाले लोगों की सभी मन्नतें पूरी करते हैं। चूंकि यह शिवलिंग राजा जनक ने स्वयं स्थापित किया था और राम जानकी ने इस शिवलिंग की पूजा की थी, इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है। इसी समय राजा जनक हल चलना प्रारंभ कियें थे। माता सीता का जन्म पृथ्वी से पुनौरा में हुआ था और क्षेत्र से अकाल की छाया समाप्त हो गई थी।
ऐसे में क्षेत्र की समृद्धि के लिए किसान बाबा हलेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते हैं। सुख, समृद्धि, शांति, समृद्धि, पुत्र, विवाह और अकाल मृत्यु से बचने के लिए, बाबा हलेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते हैं।
सीतामढ़ी शहर से लगभग सात किमी दूर स्थित हलेश्वर स्थान में, भक्त इन सभी वर्षों में दर्शन और जलाभिषेक करते रहते हैं। लेकिन सावन के महीने में, क्षेत्र हर-हर महादेव से जय घोष से गूंजता रहता है। पड़ोसी देश नेपाल के नुन्थर पहाड और सुपी घाट बागमती नदी से हवेश्वर नाथ महादेव की पूजा करने के लिए पानी इकट्ठा करते हैं। दूर-दूर से लोग बड़ी संख्या में यहाँ पहुँचते हैं। वसंत में यहां मुंडन, पूजन, अष्टयाम, भजन और कीर्तन आदि किए जाते हैं। यह मंदिर न केवल लोक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यहां आने वालों की हर मनोकामना भी पूरी करता है।
ऐसे में क्षेत्र की समृद्धि के लिए किसान बाबा हलेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते हैं। सुख, समृद्धि, शांति, समृद्धि, पुत्र, विवाह और अकाल मृत्यु से बचने के लिए, बाबा हलेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते हैं।
सीतामढ़ी शहर से लगभग सात किमी दूर स्थित हलेश्वर स्थान में, भक्त इन सभी वर्षों में दर्शन और जलाभिषेक करते रहते हैं। लेकिन सावन के महीने में, क्षेत्र हर-हर महादेव से जय घोष से गूंजता रहता है। पड़ोसी देश नेपाल के नुन्थर पहाड और सुपी घाट बागमती नदी से हवेश्वर नाथ महादेव की पूजा करने के लिए पानी इकट्ठा करते हैं। दूर-दूर से लोग बड़ी संख्या में यहाँ पहुँचते हैं। वसंत में यहां मुंडन, पूजन, अष्टयाम, भजन और कीर्तन आदि किए जाते हैं। यह मंदिर न केवल लोक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यहां आने वालों की हर मनोकामना भी पूरी करता है।
पुनौरा मंदिर :-
बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित, पुनौरा धाम माता सीता का मुख्य स्थल है। हल चलाते समय राजा जनक ने इसी स्थान पर सीता को पाया था। जो जानकी मंदिर से 2 km की दूरी पर स्थित हैं।
जानकी मंदिर:-
सीता माता को लोग जानकी नाम से भी बुलाते हैं इसलिए इस मंदिर को जानकी मंदिर कहते है। यहां पर माता सीता ,भगवान श्रीराम और भइया लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित हैं। यह मंदिर सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से 1.5 km कि दूरी पर स्थित है। यह सीतामढ़ी के पश्चिम में स्थित हैं।
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